भरतपुर/लोहागढ़ दुर्ग👉 भरतपुर दुर्ग का निर्माण 19 फरवरी 1733ई. मे जाट राजा सूरजमल ने रखी जिसे ‘जाटो का प्लेटो’ व जाटो का अफलातून’ कहते है.
यह राजस्थान का सबसे नवीन व सर्वाधिक नीचाई पर स्थित दुर्ग है जो पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी मे आता है.
विमान के आविष्कार से पूर्व इसे जीतना असंभव था अतः इस दुर्ग को अजयगढ़ कहते है.
इस दुर्ग की बाहरी दीवारो के मध्य मिट्टी भरकर इसकी प्राचीरो को मजबूत किया गया जिससे तोप के गोले भी दीवारो को न भेद सकें अतः इस दुर्ग को मिट्टी का किला व अभेद्य भी कहते है.
दुर्ग को न जीत सकने के कारण👉
1.इस दुर्ग के चारों ओर दो विशाल दीवारें बनी हुई है इन दो दीवारो के मध्य इतना अंतर है की उस पर दो ट्रक आराम से जि सकता है इस कारण इसे जीतना असम्भव है.
2.इस दुर्ग के चारो ओर सात हाथी की ताल जितनी गहराई की खाई है जिसमे रूपारेल व बाण गंगा नदियो के जल को रोककर मोती झील का निर्माण किया गया उस मोती झील के भर जाने पर सुजान गंगा नामक नहर सज इस खाई को पानी से भर जाता है.
दुर्ग के दर्शनिय स्थलीय👉
जवाहर बुर्ज✏ इसका निर्माण महाराजा थवाहर सिंह ने सन् 1735ई. मे दिल्ली विजय की याद मे करवाया गया था.
फतेह बुर्ज✏ इसका निर्माण ब्रिटिश सेना की करारी पराजय को चिरस्थाई बनाने हेतु सन्1806 ई. मे महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया.
अष्ट धातु किंवाड✏ इस किंवाड़ को महाराजा जवाहर सिंह ने सन् 1765ई. मे मुगल शाही खजाने को लूटने के साथ ऐतिहासिक लाल किले से उतार कर लाये थे.
राजेश्वरी माता का मन्दिर✏ यह भरतपुर के जाट वंश की कुल देवी है.
कचहरी कलां✏ इस भवन का उपयोग दीवान-ए-आम के रूट मे होता था. यहीं पर सन् 1948 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता मे बैठक हुई जिसके तहत् भरतपुर,धौलपुर,करौली और अलवर का एकीकरण करके मत्स्य प्रदेश का निर्माण किया गया।
दुर्ग के प्रसिद्ध दोहि📝
आठ फिंरगी नौ गौरा,लडै जाट के दो छोरा।
य दोे छोरा थे- दुर्जनलाल और माधोसिंह।।
यह राजस्थान का सबसे नवीन व सर्वाधिक नीचाई पर स्थित दुर्ग है जो पारिख व स्थल दुर्ग की श्रेणी मे आता है.
विमान के आविष्कार से पूर्व इसे जीतना असंभव था अतः इस दुर्ग को अजयगढ़ कहते है.
इस दुर्ग की बाहरी दीवारो के मध्य मिट्टी भरकर इसकी प्राचीरो को मजबूत किया गया जिससे तोप के गोले भी दीवारो को न भेद सकें अतः इस दुर्ग को मिट्टी का किला व अभेद्य भी कहते है.
दुर्ग को न जीत सकने के कारण👉
1.इस दुर्ग के चारों ओर दो विशाल दीवारें बनी हुई है इन दो दीवारो के मध्य इतना अंतर है की उस पर दो ट्रक आराम से जि सकता है इस कारण इसे जीतना असम्भव है.
2.इस दुर्ग के चारो ओर सात हाथी की ताल जितनी गहराई की खाई है जिसमे रूपारेल व बाण गंगा नदियो के जल को रोककर मोती झील का निर्माण किया गया उस मोती झील के भर जाने पर सुजान गंगा नामक नहर सज इस खाई को पानी से भर जाता है.
दुर्ग के दर्शनिय स्थलीय👉
जवाहर बुर्ज✏ इसका निर्माण महाराजा थवाहर सिंह ने सन् 1735ई. मे दिल्ली विजय की याद मे करवाया गया था.
फतेह बुर्ज✏ इसका निर्माण ब्रिटिश सेना की करारी पराजय को चिरस्थाई बनाने हेतु सन्1806 ई. मे महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया.
अष्ट धातु किंवाड✏ इस किंवाड़ को महाराजा जवाहर सिंह ने सन् 1765ई. मे मुगल शाही खजाने को लूटने के साथ ऐतिहासिक लाल किले से उतार कर लाये थे.
राजेश्वरी माता का मन्दिर✏ यह भरतपुर के जाट वंश की कुल देवी है.
कचहरी कलां✏ इस भवन का उपयोग दीवान-ए-आम के रूट मे होता था. यहीं पर सन् 1948 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता मे बैठक हुई जिसके तहत् भरतपुर,धौलपुर,करौली और अलवर का एकीकरण करके मत्स्य प्रदेश का निर्माण किया गया।
दुर्ग के प्रसिद्ध दोहि📝
आठ फिंरगी नौ गौरा,लडै जाट के दो छोरा।
य दोे छोरा थे- दुर्जनलाल और माधोसिंह।।
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